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________________ T अहिंसावतार भगवान् महावीर १५३ तत्कालीन समस्याओं का समाधान निहित था । वे जानते थे कि अहिंसा की भावना पनपेगी तो आत्म-तुल्यता के आधार पर पशु-पक्षियों के प्रति दया की भावना जागेगी । उससे यज्ञ तथा रस - लोलुपता के लिए किया जाने वाला पशुवध बन्द होगा । इसी प्रकार दास प्रथा, अस्पृश्यता और स्त्री - लघुता की भावनाएं भी मिटेंगी । यद्यपि युग-प्रवाह हिंसा का समर्थक था, परन्तु उन्होंने निर्भीकतापूर्वक अपने विचार रखे और उस प्रवाह को बदलने में सफल हुए । आज भारत की कोटि-कोटि जनता के मन में अहिंसा के प्रति जो अनुराग है, उसमें भगवान् महावीर के उस उपदेश का परिपूर्ण प्रभाव है । अनेकान्त मनुष्य अपनी क्रियाओं के द्वारा तो हिंसा में प्रवृत्त होता ही है, पर विचारों से भी होता है, अत: विचार जगत् में अहिंसा के प्रवेशार्थ उन्होंने अनेकान्तवाद का निरूपण किया । उन्होंने कहा – हर पदार्थ या तत्त्व को अनेक दृष्टियों से देखो । एकान्त दृष्टि से देखने पर उसके साथ न्याय नहीं हो सकता । प्रत्येक वस्तु के अनेक पहलू होते हैं, अतः हमारी दृष्टि भी उन सब पहलुओं को समन्वित रूप से देखकर निर्णय करने वाली होनी चाहिए। किसी एक ही पक्ष का आग्रहपूर्ण पोषण अहिंसावादी के लिए उपयुक्त नहीं । अनेकान्तवादी होकर ही वैचारिक क्षेत्र में अहिंसा की पालना की जा सकती है। प्रासंगिक हैं आज भी भगवान् महावीर के युग से लेकर अद्यतन युग तक विचारों व व्यवहारों में बहुतबहुत परिवर्तन आये हैं । बहुत-सी प्राचीन मान्यताएं व धारणाएं विलुप्तप्राय हो चुकी हैं | सामाजिक तथा सैद्धान्तिक क्षेत्र में भी अनेक नये मोड़ आ चुके हैं, फिर भी भगवान् महावीर ने अहिंसा और अनेकान्त के अपने महान् सिद्धान्तों द्वारा जिस दृष्टिकोण का निरूपण किया, उसकी आज भी उतनी ही आवश्यकता है । अहिंसावतार भगवान् महावीर की निर्वाण जयन्ती के इस अवसर पर उनके श्रीचरणों में हम तभी श्रद्धांजलि अर्पित करने के अधिकारी हो सकते हैं, जबकि उनके उपदेशों को जीवन में स्थान दे पायें और विश्व - प्रेम तथा समन्वयी दृष्टिकोण को आगे बढ़ा पायें | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003140
Book TitleChintan ke Kshitij Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1992
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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