________________
सदाचार से जुड़े प्रश्न १३६ प्रत्यक्ष उदाहरण दे सकते हैं, जिससे यह सिद्ध हो सके कि अणुव्रत आन्दोलन ने यह कार्य किया है ?
उत्तर-अणुव्रत आन्दोलन के आप आलोचक हैं तो आपने स्वयं ही यह सिद्ध कर दिया है कि यह एक जीवित आन्दोलन है। इस आन्दोलन ने आपके मन को झकझोरा है तभी तो आपने उसके विषय में कुछ सोचा है, धारणाएं बनाई हैं। यह दूसरी बात है कि आपको उसमें कुछ त्रुटियां दिखाई दी हैं। अतः आप उसके प्रशंसक न होकर आलोचक हो गए हैं । आपकी धारणा है कि अणुव्रत आन्दोलन ने देश की उन्नति के लिए कोई कार्य नहीं किया है । परन्तु मैं पूछना चाहूंगा कि आप किस प्रकार के कार्य को देश की उन्नति करने वाला मानेंगे-भौतिक कार्य को या चारित्रिक कार्य को? यदि भौतिक कार्य को ही उन्नति का हेतु मानते हैं तो मुझको निःसंदेह यह मान लेना चाहिए कि अणुव्रत आन्दोलन ने देश की उन्नति का कोई कार्य नहीं किया है। परन्तु मैं मानता हूं कि भौतिक उन्नति से भी कहीं अधिक मूल्यवान चारित्रिक उन्नति है और उस क्षेत्र में आन्दोलन ने कुछ कार्य किया है । जब देश की भौतिक उन्नति के लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा नाना प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं तब उन्हीं में से एक बनकर यह आन्दोलन कुछ भी विशेष नहीं कर पाता । परन्तु इसने देश की आवश्यकता के एक नये कोण को छुआ है । वह यह मानकर चला है कि चारित्रिक उन्नति के अभाव में कोई भौतिक योजना समुचित रूप से सफल नहीं हो सकती। वर्तमान योजनाओं में पकड़े गए लाखों रुपयों का गबन इसी बात का साक्षी है। यदि चारित्रिक सामर्थ्य परिपूर्ण होता तो अधिकारी वर्ग सारे राष्ट्र के जीवन को धोखा देने की बात सोच भी नहीं सकता था।
आप अणुव्रत आन्दोलन के कार्य को जानने के लिए कुछ प्रत्यक्ष उदाहरण चाहते हैं क्योंकि आज की दृष्टि प्रत्यक्ष को ही महत्त्व देती है। परन्तु कठिनता यह है कि भौतिक योजनाओं के फल की तरह आध्यात्मिक या चारित्रिक योजनाओं का फल प्रत्यक्ष नहीं हो पाता । अन्न, वस्त्र व फलों के ढेर की तरह हृदय-परिवर्तन का ढेर तो नहीं लगाया जा सकता । भौतिक और अभौतिक वस्तुओं की तुलना की बात तो एक बार आप छोड़िए । अभी तक तो भौतिक वस्तुओं में भी परस्पर इतना अन्तर है कि उन दोनों को एक ही तराजू पर नहीं तोला जा सकता । पत्थर तोलने के तराजू पर हीरा कैसे तोला जा सकता है ? दृश्य वस्तुओं में भी पारस्परिक इतना अन्तर है, तब दृश्य और अदृश्य के अन्तर की कल्पना ही क्या की जा सकती है।
फिर भी मैं कुछ ऐसे कार्यों के विषय में बतलाना चाहूंगा जो कि आन्दोलन ने विशेष रूप से किए हैं । सम्भव है आप उनसे यह अनुमान लगा सकेंगे कि आन्दोलन ने कितना क्या कुछ किया है । आन्दोलन का मूल ध्येय हृदय-परिवर्तन के द्वारा जनता के चारित्रिक उत्थान का रहा है। अतः उसने ब्लेक, दहेज, मिलावट, झूठ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org