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१२२ चिन्तन के क्षितिज पर
उन मर्यादाओं ने श्रमण-संघ को सामूहिक जीवन की दिशाएं तो दीं ही, उस ओर बढ़ने के लिए उपयुक्त वातावरण का भी निर्माण किया । जो मर्यादाएं लगभग सवा दो सौ से अधिक वर्ष पूर्व दस-बारह व्यक्तियों के नवगठित संघ के लिए बनायी गयी थीं, वे ही आज सात सौ सन्तजनों तथा लाखों अनुयायियों की अतुल शक्ति की संवाहक बनी हुई हैं ।
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