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________________ अक्षय तृतीया : एक महान् तपःपर्व १०७ तप एकान्तर उपवास के रूप में है। कोई चाहे तो बीच-बीच में उपवास से अधिक तप भी कर सकता है। भगवान् का वर्षी तप विनीता (अयोध्या) से प्रारम्भ हुआ और हस्तिनापुर में संपन्न । वर्तमान का वर्षी तप यों तो किसी भी क्षेत्र से प्रारंभ और संपन्न किया जा सकता है, परन्तु तपःकर्ता बहुधा उसका प्रारंभ किसी आचार्य या साधु-साध्वी के पास संकल्प ग्रहण करके करता है, तथा उसकी संपन्नता किसी तीर्थस्थल में या कीन्हीं साधु-साध्वियों या आचार्यों के सान्निध्य में करने का प्रयास करता है। तेरापंथ में कई वर्षों से इसके संकल्प तो यथा-सुविधा कहीं भी ग्रहण कर लिये जाते हैं, परन्तु पारण प्राय: सामूहिक रूप से आचार्यश्री के सान्निध्य में किये जाते हैं। अक्षय तृतीया का पर्व कहां मनाया जाएगा-इसकी घोषणा आचार्यश्री काफी समय पूर्व ही कर देते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003140
Book TitleChintan ke Kshitij Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1992
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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