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अमूर्त चिन्तन
को जान सकता है, दूर, व्यवहित और सूक्ष्म को जान सकता है। - जब केन्द्रिय नाड़ी-संस्थान, सुषुम्नाशीर्ष, अनुमस्तिष्क और मस्तिष्क का दायां भाग सक्रिय हो जाता है तब सर्वज्ञ होने की, राग-द्वेष से मुक्त होने की तथा त्रिकालदर्शी बनने की संभावना बन जाती है। हम संभावना को स्वीकृति दें कि आदमी सर्वज्ञ बन सकता है, मुक्त हो सकता है, वीतराग हो सकता है।
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