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________________ अनुप्रेक्षा : प्रयोग और पद्धति २५९ के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। ' ३ मिनट ४. आनन्द केन्द्र पर अरुण रंग का ध्यान करें। ३ मिनट ५. दोनों फुफ्फुस पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें 'मेरी प्राण शक्ति बढ़ रही है, कमजोरी क्षीण हो रही है'-इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें। ५ मिनट अनुचिंतन करें विषय वासनाएं मन को कमजोर बनाती हैं। प्राणशक्ति कमजोर मन में नहीं बढ़ती। इसलिए मैं विषय वासनाओं के जाल में नही फंसूंगा। मैं अनिच्छा गुण का विकास करूंगा। जब मानसिक शक्ति बढ़ेगी तब प्राण शक्ति का विकास होगा। १० मिनट ६. महाप्राण ध्वनि के साथ प्रयोग सम्पन्न करें। २ मिनट ___ एकत्व की अनुप्रेक्षा १. महाप्राण ध्वनि २ मिनट २. कायोत्सर्ग .५ मिनट ३. हरे रंग का श्वास लें। अनुभव करें-श्वास के साथ हरे रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। ३ मिनट ४. शांति केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान करें। ३ मिनट ५. शांति केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें__ 'मैं अकेला हूं, मेरी आत्मा किसी से अनुबन्धित नहीं है। इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें। फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें। ६. अनुचिंतन करें... व्यक्ति अकेला ही जन्मता है और अकेला ही मरता है। व्यक्ति अकेला ही संवेदना करता है और अकेला ही अनुभव करता है। व्यक्ति अकेला ही अतीत की स्मृति करता है और अकेला ही सोचता है। व्यक्ति अकेला ही सुख-दु:ख का अनुभव करता है-ये सारे गुण अकेले में ही होते हैं, किसी से अनुबन्धित नहीं। इसलिए मैं अकेला हूं। १० मिनट ७. लम्बे और गहरे दीर्घश्वास लें। हर श्वास के साथ संकल्प करें-'मैं अकेला हूं।' एवं श्वास संयम (कुम्भक) के साथ अकेलेपन का अनुभव करें। ५ मिनट ८. अब इस शब्दावली का उच्चारण करें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003139
Book TitleAmurtta Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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