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अमूर्त चिन्तन
हो रहा है । इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें। फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें ।
५ मिनट
अनुचिंतन करें
प्रामाणिकता एक असाधारण आवेग है । यह बहुत बड़ी बुराई है। जो भावना से अपरिपक्व होता है वही अप्रामाणिक व्यवहार करता है । मैं अप्रामाणिकता की वृत्ति पर विजय पा सकता हूं। जिस क्षण अप्रामाणिक व्यवहार करने की बात मन में आएगी, उसी समय बदल दूंगा। मैं अपने आपको भावित करता रहूंगा । कोई भी परिस्थिति मुझे अप्रामाणिक नहीं बना सकती। मैं अपने विवेक को काम में लूंगा । आवेगों के आधार पर काम नहीं करूंगा । मेरा दृढ़ निश्चय है कि मैं निरन्तर प्रामाणिकता का विकास करूंगा । ६. महाप्राण ध्वनि के साथ ध्यान सम्पन्न करें ।
२ मिनट
भेद - विज्ञान की अनुप्रेक्षा
महाप्राण ध्वनि
कायोत्सर्ग
३.
आनन्द केन्द्र पर ध्यान करें
४. आनन्द केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर श्वास भरते हुए अनुप्रेक्षा ६ मिनट
करें
मेरी आत्मा इस भौतिक शरीर से भिन्न है - इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें ।
१.
२.
५. अनुचिन्तन करें
स्थूल शरीर भौतिक पदार्थ वाला है ।
यही आसक्ति का मुख्य कारण है ।
जो इस आसक्ति को कम करता है । अथवा लगाव को कम करता है, वह दुःख, दर्द को कम महसूस करता है । इसलिए मैं शरीर की आसक्ति को कम करने के लिए भेद - विज्ञान का अभ्यास करूंगा ।
६. महाप्राण ध्वनि के साथ प्रयोग सम्पन्न करें । र्ल शक्ति की अनुप्रेक्षा
१.
२.
महाप्राण ध्वनि
कायोत्सर्ग
२ मिनट ५ मिनट
५ मिनट
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२ मिनट
५ मिनट
अरुण रंग का श्वास लें । अनुभव करें-श्वास के साथ अरुण रंग
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१० मिनट २ मिनट
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