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अनुप्रेक्षा और भावना
बेवलेंग्थ को पकड़ना और आवृत्तियों को पकड़ना - ये दोनों तथ्य जब ज्ञात हो जाते हैं तब भावना का मूल्य अपने आप समझ में आ जाता है। हम भावना की कितनी आवृत्तियां करते हैं, किस तरंग की लम्बाई-चौड़ाई के साथ करते हैं, उतनी ही हमारे संस्कारों की धुलाई होती जाती है। मंत्र - विज्ञान का यही सिद्धांत है । यदि मंत्र का प्रयोग करने वाला यह नहीं जानता कि किस मंत्र का किस आवृत्ति में उच्चारण होना चाहिए, कितनी तरंग के साथ होना चाहिए, तो मंत्र बहुत इष्टकारक नहीं होता । वह लाभदायी नहीं होता । मन्त्र का देवता होता है । मंत्र का छंद होता है और मंत्र का विनियोजक होता है । उसके विनियोग में सारी बातें आती हैं । अनुभवी मंत्र साधक अपने शिष्य को बताता है - मंत्र का उच्चारण किस लय में करना चाहिए ? कितनी बार करना चाहिए ? कैसे करना चाहिए ? जब तक मन्त्र साधक उच्चारण के ह्रस्व-दीर्घ, प्लुत, उदात्त, त्वरित आदि भेद-प्रभेदों को पूर्णरूप से नहीं जान लेता तब तक मंत्र का जप इष्ट परिणामदायक नहीं बनता । साधक बिना इनका ज्ञान किए दस वर्ष भी मंत्र जाप में लगा रहे, उसे कोई लाभ नहीं हो सकता । मन्त्र जाप से जो विद्युत् ऊर्जा पैदा होनी चाहिए, वह नहीं होती और मंत्र सिद्ध भी नहीं होता ।
भावना का प्रयोग इसी आधार पर किया जाता है कि बार-बार उस भावना की आवृत्तियां करें, तरंगें पैदा करें और ऐसा करते रहें । करते-करते एक बिन्दु ऐसा आता है जहां पहुंच कर पुराने संस्कार उखड़ जाते हैं और नए संस्कार जम जाते हैं । यह चमत्कार का भी मार्ग है और आत्मा के रूपान्तरण का भी मार्ग है।
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भावना- प्रयोग का चमत्कार
मंत्र- प्रयोग को भावना का प्रयोग भी कहा जा सकता है । यह उससे भिन्न नहीं । यह सम्मोहन का प्रयोग तो है ही । जिस व्यक्ति ने अपनी प्राण-शक्ति को प्रखर किया है, वह यदि सामने वाले व्यक्ति को कुछ भी सुझाव देता है तो सामने वाले व्यक्ति की जागृत चेतना सो जाती है और तब वह प्रत्येक सुझाव को वैसे ही मानने लग जाता है। बड़ी विचित्र बात है । बड़ा चमत्कार है । सुझाव देने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के हाथ में आम देकर कहता है तुम अंगारा खा रहे हो । न उसे आम के रस का स्वाद आएगा और न और कुछ । वह अंगारे का ही अनुभव करेगा। सम्मोहन का प्रयोग करने वाला कहेगा, अंगारे से तुम्हारा मुंह जल रहा है, फफोले उठ रहे हैं । सम्मोहित व्यक्ति का मुंह जलने लगेगा, फफोले उठ जाएंगे। जैसे जलने से फफोले उठते
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