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मानसिक संतुलन अनुप्रेक्षा
कि वह कैसा है। विचार के द्वारा ही व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को जाना जा सकता । जब मन स्वस्थ होता है तब व्यक्ति की उपज भी स्वस्थ होती है । वह सही बात को सही ढंग से सोचता है ।
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मानसिक स्वास्थ्य का चौथा पैरामीटर है - प्रतिक्रिया । विभिन्न परिस्थितियों में होने वाली विभिन्न प्रतिक्रियाओं के द्वारा समझा जा सकता है कि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य कैसा है । कोई व्यक्ति कटु बात कहता है तो उसका उत्तर कटु बात से ही दिया जाए, यह जरूरी नहीं है । किन्तु जब ये प्रतिक्रियाएं प्रगट होती हैं तब यह जान लिया जाता है कि व्यक्ति मन से कितना रुग्ण है। पिता यदि मानसिक दृष्टि से स्वस्थ है तो पुत्र के क्रोधित होने पर भी वह विचलित नहीं होता । वह कहेगा- बेटा ! कोई बात नहीं है। धैर्य रखो। शांत होकर इस बात को सोचो।' लोग सोचते हैं- बेटा गुस्से में है और बाप यदि उससे दुगुना गुस्सा न करे तो वह कैसा बाप ! ऐसा सोचना मानसिक अस्वास्थ्य का लक्षण है ।
मानसिक स्वास्थ्य को मापने का पांचवा पैरामीटर है - स्वभाव । आदमी का स्वभाव कैसा है ? आदमी आलसी है या कर्मठ ? आशावादी है या निराशावादी ? कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आशा में भी निराशा ढूंढ निकालते हैं, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो निराशा में भी आशा ढूंढ निकालते हैं । आशावादी व्यक्ति नीरस वातावरण में भी आशा और उत्साह भर देता है । यह न मानें कि जो व्यक्ति हमेशा आशा और उत्साह की बात करते हैं, वे अयथार्थ हैं। वह जीवन का यथार्थ है, जीवन का पलायन नहीं है । वे इस सचाई में एक तथ्य यह जोड़ देना चाहते हैं जिससे कि यह सचाई वास्तविक सचाई या क्रियान्विति की सचाई बन जाए । निराशा में आशा देखने वाले व्यक्ति ऐसे होते हैं ।
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मानसिक स्वास्थ्य को मापने का छठा पैरामीटर है- निर्णय की शक्ति । व्यक्ति ठीक निर्णय लेता है या नहीं लेता ? व्यक्ति तत्काल निर्णय लेता है या नहीं लेता ? चिन्तन तो चलता है और निर्णय कुछ भी नहीं लिया जाता। इन सबके आधार पर मन के स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है ।
मनोविज्ञान ने मानसिक स्वास्थ्य के परीक्षण के ये छह पैरामीटर, छह बिन्दु सुझाए हैं । हमने आध्यात्मिक दृष्टि से समता के बिन्दुओं पर विचार किया और मनोविज्ञान की दृष्टि से मानसिक स्वास्थ के बिन्दुओं पर विचार किया। इसका निष्कर्ष यह है कि जो व्यक्ति संतुलित जीवन जीता है, समता का जीवन जीता है, सहिष्णुता का जीवन जीता है, मन को आवेगों और दुश्चिताओं की भट्टी में नहीं झोंकता, वह व्यक्ति मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता
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