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अमूर्त चिन्तन
उबलेगा क्यों नहीं? अशांत क्यों नहीं होगा ? मन पानी है। पानी गर्म नहीं होता । उसका स्वभाव है ठंडापन । पानी ठंडा होता है । जब आग आती है, तब उसे गर्म होना पड़ता है। बेचारा मन अशान्त नहीं है, ठंडा है, किन्तु नीचे अशुद्ध भावों की भट्टी जल रही है, तब बेचारा मन गर्म क्यों नहीं होगा ? उसमें उबाल क्यों नहीं जाएगा ?
यदि मन की अशांति को मिटाना है तो हमें ध्यान देना होगा भावों पर । भाव की शान्ति, मन की शान्ति । भाव की अशान्ति, मन की अशांति । यह समीकरण प्राप्त होगा ।
मानसिक स्वास्थ्य की कसौटियां
मनोविज्ञान ने 'परसनेलिटि पैरामीटर' की पद्धति से व्यक्तित्व को अंकित करने और मानसिक स्वास्थ्य को जांचने के छह सूत्र दिए हैं। ये छह पैरामीटर हैं ।
पहला पैरामीटर है - वेश-भूषा । व्यक्ति कैसे कपड़े पहनता है ? वह अपने प्रति कितना सजग है ? वह कपड़ों को किस चतुराई से धारण करता है। कपड़े पहनने की विधि से मन की प्रसन्नता नापी जा सकती है।
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दूसरा पैरामीटर है-व्यवहार । व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में कैसा व्यवहार करता है । कभी संतुलित व्यवहार और कभी असंतुलित व्यवहार करने वाले का मन स्वस्थ नहीं होता । जो व्यक्ति मानसिक दृष्टि से स्वस्थ है तो उसके प्रति सामने वाला कितना ही दुर्व्यवहार क्यों न करे, वह अपना संतुलन नहीं खोएगा । वह अच्छा ही करेगा। वह अपने अच्छे व्यवहार के द्वारा सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार को बदलेगा या उसे यह सोचने के लिए बाध्य करेगा कि यह व्यक्ति सचमुच ही विनम्र और सद्-व्यवहार करने वाला है ।
मानसिक स्वास्थ्य का तीसरा पैरामीटर है- विचार । मानसिक अशांति का बहुत बड़ा कारण यह है कि व्यक्ति विचार करना नहीं जानता । आदमी सोचने कुछ बैठता है और सोच कुछ और लेता है। आदमी जानता ही नहीं कि कैसे सोचना चाहिए ? कैसे चिंतन करना चाहिए ? मनुष्य का सारा जीवन विचार के द्वारा संचालित होता है। उसके जीवन का सारा कार्यकलाप विचार के द्वारा निर्धारित होता है, किन्तु वह नहीं जानता कि कैसे सोचना चाहिए? कैसे चिंतन करना चाहिए ? सोचते समय मनुष्य के सामने अनेक तर्क प्रस्तुत होते हैं और वह अपने सोचने के मार्ग से भटक जाता है। विचार के द्वारा व्यक्ति को परखा जा सकता है । व्यक्ति के विचारों का विश्लेषण करो और तुम यह जान जाओगे
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