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राजस्थानी शब्द-सम्पदा को तेरापंथ का योगदान
भरत-भृत भै—भय भोम-भूमि मछ-मत्स्य मध-मध्य मिनख, मनख-मनुष्य मिमता--ममता मिरग---मृग मिरत- मृत मुगता-मुक्ता मुगति-मुक्ति मुदरा-मुद्रा मुंडै—-मुंडे मोमाखी-मधुमक्षिका रगत--रक्त रगतसोस-रक्तशोषक रतन-रत्न रहस-रहस्य रिण-ऋण रुत---ऋतु लालस्या-लालसा लुबध - लुब्ध वणराय - वनराजि वरचस्-वर्चस् विद--वदि विभगति --विभक्ति विरति-वृत्ति विरत्यां-वृत्ती:, वृत्तियां शासतां-शास्ता संसकिरती---संस्कृति संसै-संशय
संस्परस-संस्पर्श सगला-सकल सत-सत्य सपनां-स्वप्नानि सपनूं-- स्वप्ने सबदजाल-शब्दजाल सभाव-स्वभाव समदीठ-समदृष्टि सरधा-श्रद्धा सराध-श्राद्ध . सरूपदरसण-स्वरूप-दर्शन सस्तर---शस्त्र सासतर-शास्त्र सासवत-शाश्वत सिंझ्या--संध्या सिरीकिसन-श्रीकृष्ण सिस्टी-सृष्टि सीकार-स्वीकार सील-शील सीहोदर-सहोदर सुतंतर-स्वतंत्र सुमरण-स्मरण सुवरण-स्वर्ण सुवारथी-स्वार्थी सूल-शूल सेसलोयण- सहस्रलोचन, इन्द्र सोध-शोध स्याप-शाप हियो----हृदय हिंस्या-हिंसा होतब-भवितव्य ।
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