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तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान
आचार्य भिक्षु के व्यक्तित्व और वक्तव्य के विषय में भी पूरी तरह से चरितार्थ होती है | आचार्य भिक्षु ने जो कुछ किया और कहा, वह महावीर तथा महावीर वाणी को केन्द्र मानकर किया। उनकी वाणी स्वयं इस बात की स्वयंभू साक्षी है ।
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