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________________ सुदर्शनचरित में सुदर्शन का चरित्र-चित्रण सुश्री निरंजना जैन भारतीय साहित्य में शिवत्व की भावना को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। जैन साहित्य-निर्माण लौकिक यश और सम्पदा प्राप्ति के लिये न किया जाकर आत्मशुद्धि, सामाजिक जागरण और लोकमंगल की भावना से प्रेरित होकर किया जाता रहा है । भारतीय काव्याचार्य काव्य या साहित्य को सोद्देश्य मानते हैं। काव्याचार्य भामह काव्य-रचना का उद्देश्य पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति, समस्त कलाओं में निपुणता एवं कीति तथा प्रीति तथा आनन्दोपलब्धि बताते हैं ।' मम्मट ने काव्य के छह प्रयोजनों का उल्लेख किया है "काव्यं यशसेऽर्थकृते व्यवहारविदे शिवतरक्षतये ।' सद्यः परनिर्वृत्तये कांतासम्मित योपदेश युजे ॥" जैन साहित्य का उद्भव धार्मिक क्रान्ति पर आधारित है । इसलिए प्रस्तुत चरित काव्य सुदर्शन चरित जो राजस्थानी भाषा का सर्वप्रभावी काव्य है इसके रचयिता तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु, जो राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकारों में शिरोमणि हैं, ने अपनी प्रसिद्ध कृति सुदर्शनचरित' के उद्देश्य में धार्मिक तत्व को प्रधानता दी है। प्रस्तुत काव्य के महात्म्य को प्रख्यापित किया गया है-सुदर्शन मुनि के चरित्र के माध्यम से । सुदर्शन मुनि की कथा संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश ग्रंथों में समान रूप से पायी जाती है। आचार्य भिक्षु ने 'सुदर्शन चरित्र' में से सुदर्शन के जीवन चरित्र को सरस और सरल राजस्थानी पद्यों में व्याख्यापित किया है । प्रस्तुत ग्रन्थ शील एवं वैराग्य का उत्कृष्ट काव्य है। इसमें शील, संयम, तप, पुण्य और पाप के रहस्य के सूक्ष्म विवेचन के साथ मानव जीवन और प्रकृति के यथार्थ धरातल को काव्यकार अपने प्रधान पात्र सुदर्शन के चरित्र की विशालता में प्रकट करता है। काव्यशास्त्र या नाट्यशास्त्र में नायक का अर्थ प्रधान पात्र होता है। नयति इति नायकः --... जो व्यक्ति कथानक को मुख्य उद्देश्य या कथानक की ओर ले चलता है उसे नायक कहते ___ शील की दृष्टि से नायक के चार प्रकार कहे गए हैं-धीरोदात्त धीरोद्धत, धीरललित और धीरप्रशांत ।। जैन साहित्य में जो नायक आये हैं, उनके दो रूप हैं-मूर्त और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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