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ही हो रहे हैं, अपितु इसकी आचार-संहिता को जीवन में भी उतार रहे हैं। उसके सांचे में अपने जीवन को ढालने का भी प्रयास कर रहे हैं। क्या आप भी अपने जीवन को अणुव्रत के सांचे में ढालने का प्रयास करेंगे ? अणुव्रत की आचार-संहिता को स्वीकार करेंगे ? यदि आपका उत्तर सकारात्मक है तो निश्चित ही आपका जीवन पवित्र बनेगा, आप सुख और शान्ति की अकथनीय अनुभूति को प्राप्त होंगे।
लखनऊ ७ मई १९५८
धर्म का शुद्ध स्वरूप प्रकट हो
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