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मानवता का राजमार्ग
आदर्श नागरिक बनने का मंत्र
प्रकृति के जगत में हम देखते हैं, चांद अपनी चांदनी, सूरज अपनी धूप और बादल अपनी वर्षा सब पर बिना किसी भेदभाव के करता है। ऐसा नहीं कि चांदनी, धूप और वर्षा एक घर पर तो हुई पर दूसरे और तीसरे घर पर नहीं। ठीक इसी प्रकार अणुव्रत आन्दोलन हर जाति, हर वर्ग, हर सम्प्रदाय के लोगों में समान रूप से काम करता है। जिस प्रकार यह एक महाजन को अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के आधार पर निमित छोटे-छोटे व्रतों को लेने के लिए प्रेरित करता है, उसी प्रकार एक हरिजन भाई को भी करता है। एक डॉक्टर, वकील और मंत्री को भी ऐसी ही प्रेरणा देता है। दूसरे शब्दों में यह तो मानवता का राजमार्ग है, जिस पर कि चलने का अधिकार मानव-मात्र को है। मैं आप को आह्वान करता हूं कि आप दानवता की कंटकाकीर्ण और भटकावभरी पगडंडियों को छोड़कर मानवता के इस राजमार्ग पर आएं। यह बहुत संभव है कि कुछ कठिनाइयां भी उपस्थित हों, वे आपके जीवन में कुछ अवरोध भी उपस्थित करें, पर अन्तिम विजय आपकी ही है, इसमें किसी प्रकार का सन्देह करने की कोई गुंजाइश नहीं है। मेरी ऐसी भावना है कि व्यक्ति समाज और राष्ट्र में एक आदर्श नागरिक बनकर रहे । अणुव्रत की आचार-संहिता को स्वीकार कर वह इस अर्हता से सम्पन्न बन सकता है। संकल्प-चेतना जागे
कुछ लोग व्रत-ग्रहण करने की बात से बहुत घबराते हैं । मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि अणुव्रत के व्रतों को स्वीकार करने में घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अणुव्रत के नियमों को बहुत व्यावहारिक बनाया गया है । सम्पूर्ण हिंसा से एक सामान्य आदमी उपरत नहीं हो सकता, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए नियम यह बनाया गया है कि व्यक्ति निरपराध प्राणी की संकल्पपूर्वक घात न करे। यही बात सत्य के सन्दर्भ में है । सम्पूर्ण सत्य का पालन सबके लिए संभव नहीं होता। इसलिए
मानवता का राजमार्ग
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