________________
समाज का वातावरण भी स्वस्थ बने । पारस्परिक मैत्री और विश्वास की जड़ों को सींचन मिले। सुधार का मार्ग
कुछ लोग डन्डे और कानून के द्वारा बुराइयों को मिटाने की बात करते हैं। मुझे यह स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं है कि इनसे भी बुराइयों को मिटाने में एक सीमा तक सहयोग मिल सकता है । पर ऐसा नहीं मानता कि इनके द्वारा कोई स्थायी परिवर्तन आ सकता है। व्यक्ति आतंकित होकर कुछ समय के लिए बुराई से उपरत हो सकता है, पर हृदय-परिवर्तन के अभाव में वह अवसर मिलते ही पुनः बुराई में प्रवृत्त हो जाता है। स्थायी परिवर्तन या सुधार हृदय-परिवर्तन से ही सभव है। एक बार बुराई के प्रति घृणा का भाव पैदा हो जाने के पश्चात् व्यक्ति अच्छे-से-अच्छा मौका मिलने पर भी उसमें प्रवृत्त नहीं हो सकता। इसलिए हृदय-परिवर्तन का मार्ग ही अभीष्ट है । अणुव्रत आंदोलन हृदय-परिवर्तन का ही मार्ग है। छोटे-छोटे संकल्पों के माध्यम से वह समाज में परिवर्तन लाना चाहता है, आचार की प्रतिष्ठा करना चाहता है, मानव को सच्चा और अच्छा मानव बनाना चाहता है । हजारों-हजारों लोगों ने इसके संकल्पों को स्वीकार कर अपने जीवन को संवारा है, अपने जीवन की सार्थकता प्राप्त की है। आप भी इस आंदोलन के संकल्पों को स्वीकार करें। आपके स्वस्थ जीवन की यात्रा प्रारम्भ हो जाएगी।
बार एशोसिएशन, कानपुर २५ अप्रैल १९५८
Jain Ede Rion International
For Private & Personal Use Only
मानव-मनary.org