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को बहिर्मुखता से अन्तर्मुखता की ओर मोड़ना होगा। आध्यात्मिक भावना का विकास करना होगा। साधु-संत जन-जन को यही प्रेरणा देने के लिए गांव-गांव में परिभ्रमण करते हैं । आपका पुनीत कर्तव्य है कि आप उनसे प्रेरणा प्राप्त कर अपनी जीवन-धारा को सही दिशा में मोड़ें। यह मोड़ आपके जीवन के लिए वरदान सिद्ध होगा। आपके सौभाग्य का सूरज चमकने लगेगा। आपका भारतवर्ष में जन्म लेना सार्थक बन जाएगा।
छिबरा मऊ १५ अप्रैल १९५८
दुर्लभं भारते जन्म
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