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________________ अहिंसा धर्म का प्राणतत्त्व है। धर्म क्या है ? धर्म संसार के सर्वाधिक चचित दो-चार शब्दों में से एक है। क्या है धर्म ? धर्म है जीवन की पवित्रता, पवित्र जीवन की साधना । मैं नहीं समझता, जहां आचरण में पवित्रता नहीं, सात्विकता नहीं, वहां कैसा धर्म ? और जीवन में पवित्रता व सात्विकता तब तक नहीं सध सकती, जब तक कि व्यक्ति यह नहीं सोचता कि मेरी तरह ही सबको सुख प्रिय है। जिस प्रकार मुझे दुःख अप्रिय है, उसी प्रकार संसार के सभी प्राणियों को वह अप्रिय है । किसी एक को भी वह काम्य नहीं है। ऐसी स्थिति में उसका यह परम कर्तव्य बनता है कि वह इस बात के लिए क्षण-क्षण में जागरूकता बरते कि अपने सुख के लिए दूसरे के सुख को नहीं लूटेगा, उसके सुख में बाधक नहीं बनेगा। स्वयं के जीने के लिए दूसरे के जीवन को खतरे में नहीं डालेगा, उसके प्राणों का वियोजन नहीं करेगा। एक शब्द में कहा जाए तो यह अहिंसा की साधना है। अहिंसा धर्म का प्राणतत्त्व है। जीवन में जो महत्त्व प्राण का है, वही धर्म में अहिंसा का है। इस एक बात से आप अहिंसा का महत्त्व समझ सकते हैं। रोटरियन्स बन्धुओं से अपेक्षा अणुव्रत आन्दोलन अहिंसा, सत्य आदि धर्म-तत्त्वों पर आधारित एक ऐसा व्यापक कार्यक्रम है, जो जन-जीवन में सात्विकता एवं पवित्रता लाना चाहता है। आज के लोक-जीवन में व्याप्त तरह-तरह की बुराइयों पर सीधा प्रहार कर उन्हें समाप्त करने के लिए उसके अन्तर्गत छोटे-छोटे व्रतों की एक ऐसी आचारसंहिता बनाई गई है, जो सभी के लिए व्यवहार्य है । मैं चाहूंगा, रोटेरियन्स बन्धु न केवल इस आचारसंहिता को स्वयं देखें, समझे ही, अपितु उसके अनुरूप अपने जीवन को भी ढालें, दूसरों को इसकी सलक्ष्य प्रेरणा भी करें। समाज और राष्ट्र की यह उनकी बहुत बड़ी सेवा होगी। आगरा २६ मार्च १९५८ * रोटरी क्लब के सदस्यों के बीच प्रदत्त प्रवचन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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