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दे रहा है । अपेक्षा है, भारतीय जन अपने अतीत की प्रतिष्ठा को समझे और उसके अनुरूप बनने का प्रयत्न करें। इसके लिए उन्हें एक नया मोड़ लेना होगा। अपने जीवन को त्याग से अनुप्राणित करना होगा, संयम से भावित करना होगा। ख्याल रहे, संयम और त्याग की साधना ही धर्म व अध्यात्म की सच्ची आराधना है।
बेबर १४ मार्च १९५८
धर्म की सच्ची आराधना
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