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करता है । आप लोग भी इस आंदोलन की नियमावली को देखें और स्वीकार करें। मैं देखता हूं, कुछ लोग सही मार्ग को जानकर भी उस पर चलते नहीं। कारण भले कुछ भी क्यों न हो, पर यह वृत्ति उनके लिए हितकर नहीं है। लाभप्रद नहीं है । मैं नहीं समझता कि मार्ग को स्वीकार करने में कैसा भय ? कैसा संकोच ? बस, थोड़े से साहस की अपेक्षा है। व्यक्ति यदि मन को मजबूत बनाकर थोड़ा-सा साहस जुटा लेता है, तो उसका काम आसान हो जाता है । आप भी यह साहस जुटाएं। इससे आपको एक नई रोशनी प्राप्त होगी। आप स्वयं तो सुख और शान्ति का जीवन जी ही सकेंगे, आपका परिवार एवं पास-पड़ोस भी अच्छा जीवन जीने की प्रत्यक्षअप्रत्यक्ष प्रेरणा प्राप्त करेगा ।
भोजपुर १४ मार्च १९५८
व्यसनमुक्त जीवन जीएं
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