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रिश्वत-निषेध --इन तीनों का सामूहिक प्रसार करना है। पर इस प्रयास की सफलता तभी संभव है, जब सभी स्तर पर लोगों का सहयोग प्राप्त हो। जो लोग अणुव्रत-आन्दोलन के प्रति आशावान हैं, उन सबसे मेरा यह अनुरोध है कि वे इस कार्यक्रम में अपना-अपना योग दें। जिनमें ये विकार हैं, वे उन्हें छोड़कर और जिनमें ये नहीं हैं, वे दूसरों को छोड़ने की प्रेरणा देकर या वैसा प्रयत्न करके ही अपना योग दे सकते हैं।
जयपुर २८ फरवरी १९५८
अणुव्रत-आन्दोलन का लक्ष्य
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