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आंशिक रूप में स्वीकरण । इस स्वीकरण के लिए आपको गृहत्याग करना आवश्यक नहीं है, परिवार से नाता तोड़ना जरूरी नहीं है, व्यापार-व्यवसाय को छोड़ना जरूरी नहीं है । आप घर-परिवार और समाज की सीमा में रहते हुए तथा अपने दायित्वों को अच्छे ढंग से निभाते हुए अणुव्रती बन सकते हैं । यह अणुव्रतों की दीक्षा या व्रतों का आंशिक स्वीकरण भी एक सीमा तक आपके जीवन के लिए सुख और शान्ति का सशक्त आधार बनेगा । आप अपने जीवन की सार्थकता अनुभव कर सकेंगे ।
बोरावड़ १४ फरवरी १९५८
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महके अब मानव-मन
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