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प्रकार आत्मसात् हो जाएं कि उन्हें भारभूत न लगें । इस आधार के बनने से ही आगे कि शिक्षा का मार्ग प्रशस्त होगा। अणुव्रत आन्दोलन विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन, विनय जैसे सत्संस्कारों के बीज-वपन की दिशा में कार्य कर रहा है। स्कूल-स्कूल में इसी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए 'अणुव्रत विद्यार्थी परिषद्' तथा अन्य समितियां गठित हुई हैं। यहां भी यह कार्य आगे बढ़े, ऐसी अपेक्षा है । इस अपेक्षा की पूर्ति निश्चित ही न केवल विद्यार्थियों के लिए, अपितु पूरे समाज के लिए वरदान सिद्ध होगी।
डीडवाना १० फरवरी १९५८
महके अब मानव-मन
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