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________________ गरीब कौन ? महापुरुषों के प्रति आकर्षण क्यों ? महापुरुष सार्वजनीन होते हैं। किसी वर्ग या जाति-विशेष की सीमा में बंधकर वे नहीं रहते। हालांकि लोग उन्हें अपने-अपने वर्ग, जाति और सम्प्रदाय की संकीर्ण सीमाओं में बांधकर रखने का असफल प्रयास सदा से करते रहे हैं। आज भी यह प्रयास होता है । पर महापुरुषों के विचार और उपदेश इतने व्यापक होते हैं कि लाख प्रयत्नों के बावजूद वे किसी भी प्रकार की संकीर्ण सीमा में बंधकर रहते नहीं, रह सकते नहीं। अपने इस वैशिष्ट्य के कारण ही वे जन-जन के आकर्षण एवं आस्था के केन्द्र बन जाते हैं। संपूर्ण मानव-जाति की धरोहर बन जाते हैं। दीनता से छुटकारा । ___ भगवान महावीर एक दिव्य महापुरुष के रूप में आज भी जन-जन की आस्था में जीवित हैं। हम उनके उपकृत हैं, ऋणी हैं। गद्गद भावों से उनकी पुण्य स्मृति करते हैं। उन्होंने हिंसा और शोषण से उत्पीड़ित मानव को अहिंसा और अपरिग्रह का संदेश दिया । आज उनके उसी संदेश को हम दीन लोगों में प्रचारित-प्रसारित करने का कार्य कर रहे हैं। 'दीन' शब्दप्रयोग से आप चौंके नहीं । मैंने इस शब्द का प्रयोग सुचिन्तित रूप में किया है। 'दीन' की मेरी अपनी एक परिभाषा है। मेरी दृष्टि में दीन वह नहीं, जिसके पास धन नहीं, मकान नहीं, मोटर नहीं, सुख-सुविधा के विभिन्न साधन नहीं । फिर दीन कौन ? दीन वह है, जो चरित्रभ्रष्ट है, नीतिभ्रष्ट है। मानवता को बेचता है, अपने-आप को नीलाम करता है। ऐसे दीन लोग सचमुच करुणा के पात्र हैं। वे लोग अपने इस दारिद्रय से मुक्त हों, इसके लिए हम सतत प्रयत्नशील हैं। पर हमारा प्रयत्न तभी सफल सिद्ध होगा, जब स्वयं दीनजन अपनी दीनता से मुक्त होने के लिए तैयार हों। मेरा दृढ़ विश्वास है कि भगवान महावीर के अहिंसा और अपरिग्रह के उपदेश को जीवन में धारण कर वे दीनता के अभिशाप से छुटकारा पा सकते हैं । राजलदेसर १५ जनवरी १९५८ गरीब कौन ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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