________________
समता, मैत्री और सद्भावना का संदेश दे सकता है, मनुष्य के सुख और शान्ति का आधार बन सकता है।
__ क्या मैं आशा करूं कि आप लोग धर्म के इस स्वरूप को स्वीकार कर सन्तों का सच्चा अभिनन्दन स्वागत करेंगे ? यदि ऐसा होता है तो में विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह अभिनन्दन स्वागत आपके जीवन की यादगार बन जाएगा, अमूल्य धरोहर बन जाएगा।
राजलदेसर ४ जनवरी १९५८
महके अब मानव-मन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org