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धर्म दैनंदिन जीवन से जुड़े
धर्म वर्तमान को स्वस्थ बनाता है
लोग कहते हैं कि धर्म से मोक्ष मिलता है, परलोक सुधरता है। यह ठीक है कि धर्म से मोक्ष मिलता है, परलोक सुधारता है, पर मैं ऐसा मानता हं कि धर्म से केवल परलोक ही नहीं, वर्तमान भी सुधरता है। इससे भी आगे मैं तो इस भाषा में सोचता हूं कि जो धर्म वर्तमान को नहीं सुधारता, वह भविष्य को कदापि नहीं सुधार सकता। इसके विपरीत वर्तमान स्वस्थ है तो भविष्य के बिगड़ने का कोई प्रश्न ही नहीं है। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह ऐसे धर्म की आराधना करे, जो उसके वर्तमान जीवन की पवित्रता एवं स्वस्थता का आधार बने। अणुव्रत धर्म का एक ऐसा ही रूप है। विभिन्न जाति, वर्ण, वर्ग और संप्रदाय के हजारों-हजारों लोगों ने इसे अपनाकर अपने वर्तमान को स्वस्थता का सुदृढ़ आधार दिया है।
धर्म के नाम पर विवाद कैसा?
__बन्धुओ ! मुझे यह देखकर बड़ा आश्चर्य होता है कि लोग धर्म को लेकर झगड़ते हैं । क्या धर्म कोई झगड़ा करने का तत्व है ? धर्म तो झगड़े को मिटाने का काम करता है, फिर उसको लेकर झगड़ा कैसा ? मुझे लगता है, झगड़ा धर्म का नहीं, अपने-अपने ऐकांतिक आग्रह का है। लोग अपने दृष्टिकोण ही सम्पूर्ण सत्य मान लेते हैं, दूसरे के दृष्टिकोण को समझने का जरा-सा भी प्रयत्न नहीं करते । इस स्थिति में झगड़ा नहीं होगा तो और क्या होगा? हम इस तथ्य को समझे कि सत्य अनंत है, उसको देखने के पहलू भी अनंत हैं। इस स्थिति में व्यक्ति की अपनी बात किसी अपेक्षा से सत्य है तो दूसरे व्यक्ति की बात भी किसी अन्य अपेक्षा से उतनी ही सत्य हो सकती है। भगवान महावीर ने अनेकांतवाद के माध्यम से इस सत्य का उद्घाटन कर सभी प्रकार के विवादों को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
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महके अब मानव-मन
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