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हैं। पिछले दिनों आगम-संपादन का महत्वपूर्ण कार्य भी मैंने प्रारंभ किया। मैं मानता हूं, इस निमित्त जैन शासन की सेवा का एक बहुत ही दुर्लभ अवसर हमें प्राप्त हुआ है। यह काम हमारे हाथ आया, इसे भी मैं अपना और पूरे संघ का सौभाग्य मानता हूं।
___ मेरी यह स्पष्ट अवधारणा है कि नैतिकताशून्य एवं चरित्रविहीन जीवन वास्तव में जीवन नहीं है । आज जन-जीवन कितना नैतिकताशून्य और चरित्रशून्य हो रहा है, यह किसी से छुपा नहीं है। इस स्थिति ने मुझे संवेदित किया। फलतः जन-जन के नैतिक एवं चारित्रिक अभ्युदय के पवित्र उद्देश्य से मैंने अणुव्रत आन्दोलन के रूप में एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया । इस कार्यक्रम के साथ कितने लोग अब तक जुड़े, इसकी संख्या मेरे पास नहीं है। पर इतना अवश्य कह सकता हूं कि इसके माध्यम से नैतिक एवं वारित्रिक जागरण का एक सुंदर वातावरण निर्मित हुआ है। लोगों का ध्यान इस बिंदु पर खिच रहा है । मैं चाहता हूं, अधिक-से-अधिक लोग इस कार्यक्रम के माध्यम से अपने जीवन को नैतिकता एवं सदाचार के ढांचे में ढालें।
आगामी वर्ष में आगम-सम्पादन, शिक्षा, साहित्य-साधना, अणुव्रत आन्दोलन आदि उपक्रम और अधिक विकास पाएं, मैं अपनी शक्ति इन कार्यों में और अच्छे ढंग से नियोजित कर सकूँ, ४५ वें वर्ष-प्रवेश के अवसर पर मैं अपने प्रति यही मंगलभाव करता हूं।
कानपुर १२ नवम्बर १९५८
में सौभाग्यशाली हूं
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