________________
hoto
सम्बन्धों की मधुरता आवश्यक
आज मजदूर-वर्ग के प्रति समाज में वातावरण अच्छा नहीं है, यह एक तथ्य है । आप भी संभवतः इससे अपरिचित नहीं हैं। इसका कारण है कि छोटी-छोटी बातों पर हड़ताल कर बैठ जाना। इस प्रवृत्ति को राष्ट्र के निर्माण और विकास की एक बड़ी बाधा के रूप में देखा जाता है। पर मै ऐसा समझता हूं कि यह दोष आपसे भी बहुत अधिक नेताओं का है। मेरी दृष्टि में उनका काम किसी समस्या के संदर्भ में आपकी भावनाओं को उकसा कर हड़ताल करवाना नहीं है, बल्कि उनका कर्तव्य तो यह बनता है कि वे समस्या का नैतिक हल निकालने के लिए प्रयास करें। हड़ताल तो अन्तिम स्थिति है, मजबूरी की स्थिति है। पर उसमें भी हिंसा करना, तोड़-फोड़ करना कतई उचित नहीं है। एक समय था, जब मालिक और मजदूरों में अपनेपन का संबंध होता था, भाईचारे का व्यवहार होता था। एक-दूसरे की कठिनाई के प्रति संवेदना होती थी। इस स्थिति में जब-कभी कोई समस्या आती तो मिल-जुलकर बड़ी आसानी से संतोषप्रद हल खोज लिया जाता था। पर आज वह अपनापन टूट चुका है। भाईचारा बिखर चुका है। संवेदना का स्रोत सूख चुका है। इसलिए समस्याएं आए दिन द्रौपदी के चीर की तरह बढ़ती ही जा रही हैं। जब-तब वे प्रतिशोध का रूप भी ले लेती हैं। यह हिंसा का मार्ग है, जो अन्ततोगत्वा किसी के लिए हितकर और सुखकर नहीं है । इसलिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि मालिक और मजदूर-वर्ग के बीच मधुरता का सम्बन्ध जुड़े, भाईचारे का व्यवहार हो ।
कानपुर ६ अक्टूबर १९५८
१३४
महके अब मानव-मन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org