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श्रमिक गरीब क्यों ?
आप लोग श्रमिक हैं । आपका जीवन कर्मप्रधान होता है। कठोर श्रम और पसीना बहाकर आप अपनी जीविकोपार्जन करते हैं। पर कैसा आश्चर्य है कि इसके उपरान्त भी आप भूखे हैं, पीड़ित हैं और अभावअभियोगों के शिकार हैं। क्या आप जानते हैं, इसका क्या कारण है ? आप कहेंगे, आज की सामाजिक परिस्थितयां कारण हैं। मैं सामाजिक परिस्थितियों की बात को अस्वीकार तो नहीं करता, पर साथ ही इसे एकमात्र कारण भी नहीं मानता। आज की सामाजिक परिस्थितियों के साथ-साथ आपकी आत्मिक दुर्बलताएं एवं दुर्व्यसन भी कारण हैं, मुख्य कारण हैं। कठोर परिश्रम एवं दिन-रात काम करके जो पैसा आप उपार्जित करते हैं, उसे मद्यपान आदि दुर्व्यसनों में लुटा देते हैं। इसमें सामाजिक व्यवस्था का दोष तो है ही, पर आपकी चारित्रिक दुर्बलता बड़ा कारण है। क्या आप मेरे इस कथन से सहमत नहीं हैं ? संभव है, कुछ प्रतिशत लोग मद्यपान आदि दुर्व्यसनों से बचे हुए हों, पर इस बात को अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि दुर्व्यसनों से आप लोग व्यापक रूप में प्रभावित हैं। अनेक दुर्व्यसनों की जननी है शराब
मद्यपान की बुराई के संदर्भ में मैं आपसे क्या कहं ? यह स्वयं तो एक दुर्व्यसन है ही, अनेक दुर्व्यसनों की जननी भी है। इसलिए जब तक आप इस बुराई से मुक्त नहीं होंगे, दूसरे-दूसरे दुर्व्यसनों से छुटकारा संभव नहीं लगता। और जब तक जीवन दुर्व्यसनों से ग्रस्त रहेगा, तब तक आपका उत्थान नहीं हो सकता। चूंकि सुधार का मूल व्यक्ति स्वयं है, इसलिए श्रमिक बन्धुओ ! यदि आप ऊंचा उठना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, तो शराब छोड़ें, दुर्व्यसनों से नाता तोड़ें । मैं मानता हूं, ऐसा होने से आपकी भूख और गरीबी का एक बड़ा कारण समाप्त हो जाएगा । और कारण समाप्त हुआ कि स्थिति में सुधार होते वक्त नहीं लगेगा । अणुव्रत आंदोलन आपके लिए दीपक है । उसके छोटे-छोटे संकल्पों के आलोक में आप आगे बढ़ें। आपको अपनी मंजिल अवश्य मिलेगी।
श्रमिक गरीब क्यों ?
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