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________________ यह उनका सबसे बड़ा दायित्व है । इस दायित्व को निभाने से ही वे अध्यापक होने के सही गौरव को प्राप्त हो सकेंगे। उपस्थित विद्यार्थियों से मेरा कहना है कि चरित्र-निर्माण की दृष्टि से सर्वाधिक सजग आपको बनना होगा। इस दिशा में कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं एवं अध्यापकों की सफलता बहुत कुछ एतद् विषयक आपकी सजगता पर ही निर्भर करती है। आप इस बात को समझे कि आपके ज्ञानार्जन की सच्ची सार्थकता तभी है, जब वह आपके आचरण में ढले। आपका जीवन सच्चरित्र बने । वह विनय और अनुशासन से भावित हो । अणुव्रत आन्दोलन, जिसकी प्रासंगिक चर्चा मैंने पूर्व में की थी, इस दिशा में आपका कुशल मार्गदर्शन करता है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थी-वर्ग के लिए निर्धारित नियमों को आप स्वीकार कर अपने जीवन को अणुव्रत भावना के अनुरूप ढालें । निश्चित ही आपके जीवन में एक आलोक फुटेगा। कानपुर २४ अगस्त १९५८ मैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की प्रतिष्ठा हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003136
Book TitleMaheke Ab Manav Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size8 MB
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