________________
अणुव्रत आंदोलन, जिसका कि उल्लेख मैंने प्रारम्भ में किया, इसी उद्देश्य से कार्यरत है। इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के गर्भ में मैं न केवल भारतीय समाज और राष्ट्र के, अपितु पूरी मानव-जाति के बहुत बड़े हित का दर्शन कर रहा हूं। कुछ ही वर्षों की काल-अवधि में इसने जो भावनात्मक एवं क्रियात्मक समर्थन व जन-सहयोग प्राप्त किया है, वह भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है। उपस्थित कानपुर के कार्यकर्ता इस जीवननिर्माणकारी अभियान को नगर के विभिन्न वर्गों तक पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प होंगे, ऐसी अपेक्षा करता हूं। आशा है, मुझे सकारात्मक उत्तर मिलेगा।
कानपुर २८ जून १९५८
महके अब मानव-मन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org