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व्यक्तित्व का नव निर्माण
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लगा हुआ हूं और पुराने व्यक्तित्व को विजित करने में प्रयत्नशील हूं। मैंने अनेक मान्यताओं और धारणाओं के आधार पर जिस व्यक्तित्व का निर्माण किया था उसे आज छोड़ रहा हूं, उसका रेचन कर रहा हूं। व्यक्तित्व के नव निर्माण के लिए नई इंटें, नया चूना और नई सामग्री चाहिए। मैंने उसे जुटा ली है। पुराने व्यक्तित्व के विजित हो जाने के कारण अब मैं सामायिक की साधना में निरंतर आगे से आगे बढ़ता जाऊंगा।
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