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मानसिक तनाव का विसर्जन
१५१ घटित हो रहा है उसे हम देखते हैं, चाहे फिर वह भीतर घटित हो रहा है या बाहर घटित हो रहा है । शरीर में खुजली हो रही है, उसे भी हम देख रहे हैं, क्योंकि वह भी एक घटना है, सचाई है । पसीना आ रहा है उसे देखते हैं, क्योंकि यह भी सचाई है, घटना है। गर्मी का अनुभव हो रहा है, सर्दी का अनुभव हो रहा है, जो कुछ भी घटित हो रहा है, उसे हम तटस्थ भाव से देख रहे हैं, क्योंकि यह वर्तमान की घटना है, यथार्थ है सचाई है, कोरी स्मृति या कल्पना नहीं है। घटना को देखना, तटस्थभाव से देखना,. समभाव से देखना, राग-द्वेषमुक्त भाव से देखना, वर्तमान में जीना है, वर्तमान का अनुभव करना है, वर्तमान का उपयोग करना है ।
शरीरप्रेक्षा से समभाव का विकास होता है । शरीरप्रेक्षा से राग-द्वेष मुक्त क्षण में जीने का अभ्यास बढ़ता है। इस अभ्यास से हम मानसिक तनाव से बच जाते हैं।
तनाव तीन प्रकार के हैं-शारीरिक तनाव, मानसिक तनाव और भावनात्मक तनाव । प्रत्येक व्यक्ति इन तीनों प्रकार के तनावों से घिरा हुआ है । शारीरिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए कायोत्सर्ग का अभ्यास बहुत. उपयोगी है। दो घंटे तक सोने से जितना आराम नहीं मिलता, मांसपेशियों को विश्राम नहीं मिलता, उतना विश्राम आधे घंटे तक विधिवत् कायोत्सर्ग करने से मिल जाता है । उससे अधिक विश्राम मिलता है।
___आज के वैज्ञानिक विद्यत् के झटके देकर बीमार व्यक्ति को नींद दिलाते हैं। पचीस मिनट की नींद से व्यक्ति को छह घंटे की नींद जैसा विश्राम महसूस होता है । यदि आधा घंटा कायोत्सर्ग किया जाए तो वह दोतीन घंटे नींद की पूर्ति करता है। इससे इतनी भारहीनता की अनुभूति होती है कि नींद से भी वह नहीं होती।
मानसिक तनाव मिटाने के लिए ध्यान बहुत उपयोगी है । किसी एक विषय पर हम ध्यान करें। वर्तमान में रहें। मानसिक तनाव क्रमशः मिटता जाएगा । ध्यान करने वाले यह महसूस करते हैं कि जैसे-जैसे ध्यान की परिपक्वता आती जाती है, मानसिक तनाव विसर्जित होता है, मानसिक हल्केपन का अनुभव होता जाता है।
मानसिक तनाव का मुख्य कारण है-अधिक सोचना । सोचने की भी एक बीमारी है । कुछ लोग इस बीमारी से इतने ग्रस्त हैं कि प्रयोजन हो या न हो, वे निरंतर कुछ-न-कुछ सोचते ही रहते हैं । वे इसी में अपने जीवन
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