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________________ १४८ किसने कहा मन चंचल है सकती। यदि हम कल्पना को छोड़ दें, भविष्य की योजनाओं से छुटकारा पा लें भविष्य की बात ही न सोचें तो कल रोटी कैसे बनेगी। यदि हम भविष्य की कोई योजना ही न बनाएं तो कल कौन बाजार जायेगा ? कौन सामान लायेगा और कार्य कैसे संपन्न होगा? ये प्रश्न उठते हैं। इन्हीं के आधार पर सामान्य व्यक्ति कह देता है कि अध्यात्मवादियों की ये बहकी-बहकी बातें हैं। वे कहते हैं-"स्मृति को छोड़ दो, कल्पना को छोड़ दो।" इनके बिना जीवन चल नहीं सकता । आदमी एक दिन भी नहीं जी सकता। ऐसा सोचना ठीक है । मन का यह संदेह भी उचित है। किन्तु अध्यात्मवादियों के कथन को हम यथार्थ में समझे। अध्यात्मवादी यह कभी नहीं कहते कि स्मृति को सर्वथा छोड़ दें, स्मृति-शून्य हो जाएं । वे यह नहीं कहते कि कल्पना को छोड़कर अपने जीवन की गाड़ी रोक दें । उनके कथन को समझे, उनके हार्द को समझे, उनके मर्म को समझे। उनके कथन का तात्पर्य है कि मनुष्य अनावश्यक स्मृतियों और कल्पनाओं के भार से मुक्त हो जाए । वह जितना समय उन स्मृतियों और कल्पनाओं में बिताता है, उसको कम कर दे । आवश्यक स्मृति और कल्पना के लिए जितना समय आवश्यक हो उतना लगाएं, किन्तु अनावश्यक समय लगाने की मनोवृत्ति से छुटकारा पा लें। हमारा पूरा समय स्मृतियों के उधेड़-बुन में और कल्पनाओं को संजाने में बीत जाता है। सोते समय भी कल्पनाएं होती हैं और जागते समय भी कल्पनाएं होती हैं। ये स्वप्न क्या हैं ? जागते समय की कल्पना और जागते समय की स्मृतियां सोते समय स्वप्न बन जाते हैं। सोते-जागते स्मृतियों और कल्पनाओं का चक्र चलता रहता है। साधना के क्षेत्र में प्रवेश करने का अर्थ ही है कि हम इन स्मृतियों और कल्पनाओं के चक्र को तोड़ दें। जीवन में केवल वही बचे जो अनिवार्य है। आवश्यक स्मृति और कल्पना का अपना उपयोग है। अनावश्यक स्मृति और कल्पना का कोई उपयोग नहीं है । वे केवल तनाव का सृजन करती हैं । मन को भटका देती हैं। अनावश्यक स्मृतियों के साथ कभी गुस्सा आता है, कभी लोभ जागता है, कभी मान उभरता है । सारे आवेग चक्कर काटने लग जाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003132
Book TitleKisne Kaha Man Chanchal Hain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1985
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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