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प्रवचन १२
संकलिका
- मृत्यु के साथ तीन तत्त्व निकलते हैं• आत्मा
० कर्मशरीर • तेजस शरीर। • एक अमूर्त, दो मूर्त । • शरीर में प्रतिक्षण परिवर्तन । • पूरी श्रृंखला है जीवन की-जीव से शरीर, शरीर से वीर्य, वीर्य
से योग, योग से प्रमाद और प्रमाद से कर्म-बंध । ० समूची सृष्टि के विस्तारक दो तत्त्व-जीवयुक्त शरीर या जीव
मुक्त शरीर। - शक्ति-जागरण के तीन सूत्र
दीर्घश्वास-प्रेक्षा, समवृत्तिश्वास प्रेक्षा, सूक्ष्मश्वास-प्रेक्षा • श्वास का सम्बन्ध प्राण से, प्राण का सम्बन्ध सूक्ष्म प्राण से और
सूक्ष्म प्राण का सम्बन्ध सूक्ष्म शरीर से । • श्वास को पकड़ना समूची प्रक्रिया को पकड़ना है। - शरीर में अनेक संवादी केन्द्र हैं। उन पर मन को एकाग्र करने से
विभिन्न शक्तियों का विकास होता है।
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