SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्यवहारनय संग्रह द्वारा गृहीत अर्थ का विधिपूर्वक विश्लेषण करने वाला व्यवहार नय है। व्यवहार भेद का ग्राहक होता है। भेदग्राही व्यवहारः। सम्पूर्ण सत् संग्रह नय द्वारा गृहीत था। व्यवहार उसमें भेद करता है। जो सत् है, वह द्विरूप है-द्रव्य और पर्याय। द्रव्य छह प्रकार का है। व्यवहार नय द्रव्ययार्थिक नय का ही भेद है अतः परमाणु तक इसका ज्ञेय क्षेत्र है। अर्थ पर्याय इसका विषय नहीं हो सकती। ___अपर संग्रह और व्यवहार नय का विषय समान होने पर भी अपर संग्रह अभेदांश प्रधान है जबकि व्यवहार नय भेद प्रधान है। अपर संग्रह नय भेद में अभेद का ग्रहण करता है। व्यवहार नय अभेद में भी भेद का ग्रहण करता है। यही इन दोनों नय में अन्तर है। जो द्रव्य और पर्याय का काल्पनिक विभाग मानता है वह व्यवहाराभास है। ऋजुसूत्रनय नित्य द्रव्य की उपेक्षा करके जो वर्तमान क्षणवर्ती पर्यायमात्र को प्रधानता से स्वीकार करता है वह ऋजुसूत्र नय है। वर्तमानपर्यायग्राही ऋजुसूत्रः, यथा-साम्प्रतं सुखं वर्तमान में सुख है। यहां मुख्य रूप से क्षण स्थायी सुख नामक कोरा पर्याय विवक्षित है। सुख के आधारभूत आत्म द्रव्य को गौण मानकर उसकी विवक्षा नहीं जो द्रव्य का निराकरण करके केवल पर्याय को ही सत् मानता है वह ऋजुसूत्राभास है। क्षणिकवादी बौद्धों का मन्तव्य इसका उदाहरण है। शब्द नय काल, कारक, लिंग, संख्या आदि के भेद से अर्थ भेद को स्वीकार करने वाला शब्द नय है। ‘कालादिभेदेन ध्वनेरर्थभेदकृच्छब्दः' शब्द नय एक ही वस्तु में काल, कारक, लिंग आदि के भेद से भेद मानता है। कालभेद-राजगृह था, राजगृह है और राजगृह होगा। इन वाक्यों में जो अर्थ भेद है वह शब्द नय के कारण है। कारक भेद-राम ने, राम के लिए, इन वाक्यों में कारक कृत भेद है जो शब्द नय का विषय है। इसी प्रकार अन्य भेद भी इस नय के माध्यम से हो जाते हैं। व्रात्य दर्शन - ४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003131
Book TitleVratya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalpragyashreeji Samni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages262
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy