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२. बहुश्रुतपूजा : एक परिशीलन
शिक्षा का जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। बल्कि यों कहना चाहिए कि शिक्षा ही जीवन है, यहां शिक्षा का अर्थ किताबी ज्ञान से नहीं परन्तु जीवन के सम्पूर्ण आचार-व्यवहार से है। अनेक बार शिक्षा को साक्षरता से जोड़ दिया जाता है किन्तु यह उचित नहीं है। साक्षर भी अशिक्षित हो सकता और निरक्षर शिक्षित । साक्षरता शिक्षा का एक अंग है पर साक्षरता ही शिक्षा नहीं है। शिक्षा की परिभाषा
शिक्षा शब्द संस्कृत की शिक्ष् धातु से निष्पन्न होता है जिसका तात्पर्य है-सीखना और सिखाना। प्लेटो, टाम्सन, हरबार्ट, महात्मा गांधी आदि शिक्षाविदों ने शिक्षा की भिन्न भिन्न परिभाषाएं प्रस्तुत की हैं। English में शिक्षा को Education कहा जाता है जिसकी व्युत्पत्ति लेटिन भाषा के Educatum: Educare और Educere शब्द से हुई है। Educatum का अर्थ है अध्यापन-क्रिया। Educare का अर्थ है विकसित करना तथा Educere का अर्थ है-शिक्षित करना। कुछ लोगों का मानना है कि Education दो शब्दों के संयोग से बना है-E & duco अर्थात् बाहर प्रेरित करना अतः Education का अर्थ हुआ आन्तरिक शक्तियों को जागृत करना। यह मत शिक्षा की भारतीय मान्यता के अनुकूल प्रतीत होता है। शिक्षा का उद्देश्य
वर्तमान में शिक्षाशास्त्र का प्रारम्भ सन् १८५४ के बुड डिस्पैच से माना जाता है, यद्यपि प्राचीन भारतीय मनीषियों ने शिक्षा के सम्बन्ध में गम्भीर एवं महत्त्वपूर्ण चिंतन किया है। तैतरीयोपनिषद् की शिक्षावल्ली, गीता, जैन आगमों आदि में शिक्षा १६ . व्रात्य दर्शन
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