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________________ १८ कारकसाकल्य का प्रामाण्य विमर्श भारतीय दर्शनशास्त्र में सर्वप्रथम प्रमाण की चर्चा उपलब्ध होती है प्रमेय की बाद में। प्रमेय का निश्चायक प्रमाण होता है। प्रमाण के बिना प्रमेय का ज्ञान नहीं हो सकता। 'प्रमेयसिद्धिः प्रमाणाद्धि' प्रमाण के द्वारा ही प्रमेय की सिद्धि होती है। प्रमेय के बारे में दार्शनिकों के दो मत हैं। कुछ प्रमेय की वास्तविकता को स्वीकार करते हैं, अन्य नकारते भी हैं किन्तु प्रमाण की अवधारणा सर्वमान्य है। प्रमेय की वास्तविकता-अवास्तविकता प्रमाणाधीन है। अतएव सम्पूर्ण भारतीय दार्शनिक वाङ्मय में प्रमाण की चर्चा उपलब्ध है। प्रमाण न्यायशास्त्र का मूलभूत अंग है। जब इसको स्वीकृति दी गई तो उसके स्वरूप के बारे में विभिन्न दार्शनिकों ने भिन्न-भिन्न रूप से विचार करके विवेचन किया तथा उसके लक्षण को स्थापित करने का प्रयत्न किया। प्रमाणसामान्य के लक्षण में किसी को कोई आपत्ति नहीं है। प्रमाण का सामान्य लक्षण है---'प्रमायाःकरणं प्रमाणम्' प्रमा का करण ही प्रमाण है। जो वस्तु जैसी है उसको वैसा ही जानना 'प्रमा' है। प्रमाण सामान्य के लक्षण में मतैक्य होने पर भी 'करण' के स्वरूप के बारे में मतभेद है। करण का अर्थ है-साधकतम। फलसिद्धि में जिसका व्यापार अव्यवहित होता है वही करण कहलाता है। बौद्ध सारूप्य और योग्यता को करण मानते हैं। नैयायिक जयन्तभट्ट कारकसाकल्य को करण मानते हैं अन्य नैयायिक सन्निकर्ष और ज्ञान दोनों को करण मानते हैं। जैन सिर्फ ज्ञान को ही करण मानता है। उसके अनुसार सन्निकर्ष, योग्यता आदि अर्थबोध की सहायक सामग्री है परन्तु अर्थबोध का निकट संबंधी ज्ञान ही है। वही ज्ञान और ज्ञेय के बीच संबंध स्थापित करता है अतएव प्रमा उत्पत्ति में ज्ञान साधकतम होने से ज्ञान ही प्रमाण है यह जैन का अभ्युपगम है। इसी विचार बिन्दु के आधार पर प्रमाण को परिभापित करते हुए कहा गया-'स्वापूर्वार्थव्यवसायात्मकं ज्ञानं प्रमाणं' स्व और अपूर्व अर्थ का व्यवसायी ज्ञान प्रमाण है। प्रमाण परिभाषा में प्रदत्त अपूर्व शब्द जैन परम्परा १६० • व्रात्य दर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003131
Book TitleVratya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalpragyashreeji Samni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages262
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size10 MB
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