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ये सब वस्तु के स्वरूप हैं। इनमें से किसी एक का अपलाप करना जैन दर्शन के अनुसार वस्तु सत्य का अपलाप करना है। जैन के अनुसार सत् अर्थात् वस्तु सामान्य विशेषात्मक है ।
१३२ • व्रात्य दर्शन
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