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________________ ५६ / जैनतत्वविद्या भय, शोक और जुगुप्सा-कषाय की उत्पत्ति के हेतु हैं। जिसके कारण भय उत्पन्न होता है, उसके प्रति द्वेष होना अस्वाभाविक नहीं है। इसी प्रकार प्रिय के वियोग और अप्रिय के संयोग से व्यक्ति शोकविह्वल बन जाता है । ऐसी परिस्थितियों में ही जुगुप्सा का बीजवपन होता है। ये तीनों तत्त्व आत्महित में बाधक हैं, इसलिए इन्हें भी समाप्त करने का प्रयत्न होना जरूरी है। स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद भी नोकषाय के प्रकार हैं। स्त्री की पुरुषाभिलाषा, पुरुष की स्त्री सम्बन्धी अभिलाषा और नपुंसक की उभयमुखी अभिलाषा वेद कहलाती है। ये मोह कर्म की प्रकृतियां हैं । इनके मूल में राग-द्वेषमूलक वृत्तियों का प्रभाव है। इनके साथ में जब तक अशुभ योग जुड़े रहते हैं, वेद व्यक्त विकार के रूप में परिणत हो जाते हैं। सातवें गुणस्थान में अशुभयोग नहीं है, इस दृष्टि से वहां व्यक्त विकार भी नहीं है । वेद का अस्तित्व नौवें गुणस्थान तक है । कषाय की भांति नोकषाय भी वीतरागता की स्थिति में बाधक है। इसलिए विशेष साधना के द्वारा नोकषाय को क्षीण कर आत्मस्वरूप को प्राप्त किया जा सकता है। २५. चारित्र के पांच प्रकार हैं१. सामायिक चारित्र ४. सूक्ष्मसम्पराय चारित्र २. छेदोपस्थाप्य चारित्र ५. यथाख्यात चारित्र ३. परिहारविशुद्धि चारित्र दर्शन मोहनीय कर्म के विलय से सम्यक्त्व उपलब्ध होता है और चारित्र मोहनीय के विलय से चारित्र प्राप्त होता है। मोहनीय कर्म की अट्ठाईस प्रकृतियां हैं। इनमें अनन्तानुबन्धी कषाय-चतुष्क और सम्यक्त्व मोहनीय, मिश्र मोहनीय तथा मिथ्यात्व मोहनीय का सम्बन्ध सम्यक्त्व से है। चारित्र का सम्बन्ध है सोलह कषाय और नौ नोकषाय से। कषाय और नोकषाय का जितना-जितना क्षयोपशम, उपशम और क्षय होता है, चारित्र की उज्ज्वलता उतनी-उतनी बढ़ जाती है। इस वर्ग के पचीसवें बोल में चारित्र के पांच प्रकार बतलाए गए हैं१. सामायिक चारित्र 'सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि'- इस वाक्य का उच्चारण करते हुए संक्षेप में सपाप प्रवृत्तियों का प्रत्याख्यान करना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003129
Book TitleJain Tattvavidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2008
Total Pages208
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, M000, & M015
File Size8 MB
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