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वर्ग १, बोल १३ / ३१ यह शक्ति तब प्राप्त होती है, जब जीव जन्म धारण करने के अनन्तर पर्याप्तियां बांध लेता है। इस दृष्टि से प्राण और पर्याप्ति परस्पर संबद्ध हैं।
___प्राण संख्या में दस हैं। उनमें पांच प्राणों का संबंध इन्द्रिय पर्याप्ति से है। मनबल, वचनबल और कायबल का संबंध मनः पर्याप्ति, भाषा पर्याप्ति एवं शरीर पर्याप्ति के साथ है। श्वासोच्छ्वास प्राण श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति से जुड़ा हुआ है। आयुष्य प्राण का संबंध आहार पर्याप्ति से है। जब तक ओज आहार रहता है, तब तक आयुष्य बल के आधार पर प्राणी जीवित रहता है। ओज आहार की समाप्ति आयुष्य की समाप्ति है। आयुष्य बल क्षीण होते ही प्राणी की मृत्यु हो जाती है।
संसार में रहने वाले सभी प्राणी सप्राण होते हैं, किन्तु सब प्राणियों के प्राणों की संख्या समान नहीं होती। एक इन्द्रिय वाले प्राणियों में चार प्राण पाए जाते हैं । दो इन्द्रिय वाले जीवों में प्राणों की संख्या छह हो जाती है। तीन इन्द्रिय वाले जीवों में प्राण सात, चार इन्द्रिय वाले जीवों में प्राण आठ और पांच इन्द्रिय वाले जीवों में दसों प्राण पाये जाते हैं।
मुक्त आत्माएं सब प्रकार की पौद्गलिक शक्तियों से निरपेक्ष हो जाती है, इसलिए उनमें इन दस प्राणों में से एक प्राण भी नहीं पाया जाता । क्योंकि प्राण जीवनी शक्ति होने पर भी पौद्गलिक शक्ति-पर्याप्तियों की अपेक्षा रखते हैं । मुक्त जीव में शुद्ध चेतना मात्र अवशिष्ट रहती है। पुद्गल का प्रभाव वहां सर्वथा क्षीण हो जाता है । इसलिए प्राण की सत्ता केवल संसारी प्राणियों में ही रहती है।
१३. योग के तीन प्रकार हैं१. मनोयोग २. वचनयोग ३. काययोग मनोयोग के चार प्रकार हैं
१. सत्य मनोयोग ३. मिश्र मनोयोग
२. असत्य मनोयोग ४. व्यवहार मनोयोग वचनयोग के चार प्रकार हैं
१. सत्य वचनयोग ३. मिश्र वचनयोग २. असत्य वचनयोग ४. व्यवहार वचनयोग
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