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________________ १५. सम्यक्त्व के पांच दूषण हैं १. शंका २. कांक्षा ३. विचिकित्सा जो तत्त्व जिस रूप में हो, उसे उसी रूप में समझने का नाम सम्यक्त्व है । जिन कारणों से सम्यक्त्व दूषित होता है, वे सम्यक्त्व के दूषण माने गए हैं । युगीन सन्दर्भ में इन्हें प्रदूषण की संज्ञा दी जा सकती है । जिस प्रकार हवा, पानी आदि का प्रदूषण मानव-जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, उसी प्रकार आत्मा के विशिष्ट सम्यक्त्व को दूषित या मलिन बनाने के कारण शंका, कांक्षा आदि प्रदूषण हैं । प्रथम दूषण है शंका । शंका का अर्थ है सन्देह । यह तत्त्वों के प्रति हो सकता है, लक्ष्य के प्रति भी हो सकता है। संदिग्ध अवस्था में की गई प्रवृत्ति वांछित परिणाम नहीं ला सकती । चाहे प्रवृत्ति तत्त्व - ज्ञान की हो, मंत्र जाप की हो या अपने इष्ट को आराधने की हो । संदेहातीत आस्था ही व्यक्ति को इस प्रदूषण से त्राण दे सकती है । ४. परपाषण्डप्रशंसा ५. परपाषण्डपरिचय वर्ग ३, बोल १५ / ११९ कांक्षा का अर्थ है मिथ्याचार के स्वीकार की अभिलाषा अथवा लक्ष्य से विपरीत दृष्टिकोण में अनुरक्ति । यह मन की डांवांडोल अवस्था की प्रतीक है। कांक्षा की विद्यमानता में कोई व्यक्ति निर्द्वन्द्व नहीं हो सकता । तीसरा दूषण है विचिकित्सा । सत्याचरण की फलप्राप्ति या लक्ष्य पूर्ति के साधनों के प्रति संशयशीलता का नाम विचिकित्सा है। सीधी भाषा में कहा जाए तो यों कहा जा सकता है कि व्यक्ति का लक्ष्य है मोक्ष | मोक्ष तक पहुंचने का साधन है धर्म । धर्म के प्रति संदेह करना इस दूषण अन्तर्गत आता है I Jain Education International 1 परपाषण्डप्रशंसा और परपाषण्डपरिचय का संबंध लक्ष्य से प्रतिगामी पुरुष या सिद्धान्त की प्रशंसा करने और उसके साथ संपर्क बढ़ाने से है । जो व्यक्ति लक्ष्य से प्रतिगामी पुरुष या सिद्धान्त की प्रशंसा करता है, वह उस गलत तत्त्व की प्रशंसा करता है, जो उक्त पुरुष को लक्ष्य से विपरीत दिशा में ले जा सकता है। यही बात परपाषण्ड परिचय की है। सम्यक्त्व के इन पांचों दूषणों को जान कर इनसे निर्लिप्त रहना ही सम्यक्त्व की विशुद्धि है और यही जीवन की सफलता है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003129
Book TitleJain Tattvavidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2008
Total Pages208
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, M000, & M015
File Size8 MB
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