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पर उसके साथ श्रद्वा का अनिवार्य योग न होने के कारण वह व्यक्ति को सम्यक् राह नहीं दिखा पा रहा है। फलतः वह भ्रष्टाचार, अनैतिकता आदि की कन्टकाकीर्ण पगडंडियों में भटक रहा है। अपेक्षा है, इस भूल का परिमार्जन किया जाए। मेरा विश्वास है, इस भूल का परिमार्जन ही दुनिया को संकट से उबार सकेगा।
मानवता मुसकाए
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