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________________ नहीं है । पर ममत्व का बंधन इतना गाढ हो गया है कि वर्तमान की दुनिया उससे मुक्ति पाने की स्थिति में नहीं है। भारतीय लोगों का दृष्टिकोण अपेक्षाकृत अब भी कम पदार्थवादी है। शांति और अनाक्रमण की चिरकालीन परम्परा से वे सहज संस्कृत हैं । अहिंसा और संयम के संस्कार उनकी धमनियों में प्रवाहित हैं। उन्हें अधिक सावधानी से चलना है। दुनिया बहुत छोटी हो गई है। भारतीय लोग भी पदार्थवादी दृष्टि के आधार पर हुई प्रगति की ओर ललचा रहे हैं, जबकि दूसरे-दूसरे देशों के लोग शस्त्रों की विभीषिका से अशांत होकर भारत की शांति को महत्त्व दे रहे हैं। भारतीय लोग स्थिति को आंकने में भूल न करें। अतीत का अवलोकन : भविष्य का निर्धारण आज का दिन उनके लिए भविष्य के निर्धारण और अतीत के अवलोकन का है । गत वर्ष में हिंसा की मात्रा कुछ बढी है। प्रांतीयता का मनोभाव, भाषा-विवाद, विद्याथियों के तोड़-फोड़-मूलक आंदोलन, अनशन का दुरुपयोग, बार-बार गोलियां चलना, एक दल द्वारा दूसरे दल की निम्नस्तरीय आलोचना आदि-आदि कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं, जो भारतीय परम्परा को शोभा नहीं देतीं। इनमें दोनों ओर का दुराग्रह काम करता है । यह सच है कि शेष दुनिया में ऐसी घटनाएं होती हैं। पर चिंतनीय बिंदु यह है कि भलाई किसमें है-इनका अन्धानुकरण करने में या इनसे दूर रहने में ? इन घटनाओं से संबंधित सभी लोग इस संदर्भ में गहराई से सोचें । मैं तो सदैव इस भाषा में सोचता हूं कि नव-निर्माण के लिए शांति, समन्वय और सहृदयता की अपेक्षा है, आपसी विरोध की नहीं । ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति अब नहीं होगी, इस दृढ निश्चय के साथ ही आगामी वर्ष में प्रवेश करें। आज के दिन राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक हिंसोन्मुख शक्ति को चरित्र-विकास की ओर मोड़ने का शुभ संकल्प संजोए । अणुव्रत आंदोलन इस दिशा में पथ का आलोक है। मानवता मुसकाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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