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विराजमान है, वह माला के मनकों पर लिखे राम नाम का क्या करेगा। मन में रमे राम के समक्ष बेचारी माला क्या मोल रखती है । अत: मानव ! तू हनुमान बन, अपने अन्तर् में सूक्ष्मता से झांक, घट में छुपी अपनी अनन्त शक्ति को जागृत कर । निस्संदेह, सुषुप्त मानवता अंगड़ाई लेकर जाग उठेगी। तेरा भाग्य-सितारा चमक उठेगा।
मानवता मुसकाए
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