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'प्रवचन पाथेय' ग्रन्थमाला के अब तक प्रकाशित १८ पुष्पों में से अनेक पुष्प मुनि धर्मरुचि के सम्पादन-कौशल से निकले हैं। ग्रन्थमाला का १९ वां पुष्प 'मानवता मुसकाए' में भी उसी का श्रम लगा है। प्रस्तुत पुष्प सन् १९५८ में प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं की विकीर्ण सामग्री को संकलित कर तैयार किया गया है। स्वाध्यायप्रेमी पाठक इसके स्वाध्याय से मानवता की मुसकान को देखें और ऐसा पुरुषार्थ करें जिससे उनके जीवन में मानवता मुसकराती रहे।
नैन विश्वभारती, लाडनूं ३१ जनवरी १९९७
गणाधिपति तुलसी
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