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अणुव्रत-आन्दोलन आत्मा के चैतन्य-जागरण की दिशा है। उसका दिग्सूचक-यंत्र है--निर्मोह भाव । मोह का पर्दा हटे, मिथ्या धारणाओं और कल्पित भय की दीवारें फूट, मनुष्य-मनुष्य के बीच कृत्रिम भेद न रहें--यह प्रयत्न हमें करना है। साथ ही सबको साथ लेकर चलना है। इसलिए आवश्यक है कि हम मैत्री के विचारों को आगे बढ़ायें।
मानवता मुसकाए
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