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________________ अधिक महत्त्व देता है, उसके लिए हिंसा के द्वार खुल जाते हैं। वह अपनी सुविधाओं की पूर्ति के लिए दूसरों को सताता है, मार डालता है और अपने अधीन रखना चाहता है। यह हिंसा का आदि चरण है। यह बढ़ते-बढ़ते दूसरे राष्ट्र को सताने, मारने और निगल जाने तक पहुंच जाता है। एक की या थोड़े-से लोगों की हिंसा पूरी दुनिया को संकट में डाल देती है । इसलिए बढ़ते हुए हिंसा के प्रवाह को हर स्थिति में रोका जाना चाहिए। विश्वास का मूल आचरण है विश्वास आचरण से पैदा होता है। उसे लेख और वक्तव्य उसे पैदा नहीं किया जा सकता । भारतीय मानस में अहिंसा की एक गहरी रेखा, एक गहरा संस्कार जमा हुआ है। यहां के लोग शांतिप्रिय हैं । वे सलक्ष्य आक्रमण से बचते रहे हैं । इसी विश्वास की भित्ति पर पण्डित नेहरू ने कई बार कहा..... भारत कभी भी आक्रांत नहीं होगा।' __संहारक स्थिति पैदा करने वाला कोई भी अच्छा नहीं है। भले फिर वह साम्यवादी हो या असाम्यवादी। साम्यवाद या असाम्यवाद, यह गौण प्रश्न है । मूल प्रश्न मानवता का है । मानवता को मिटानेवाले मानव स्वयं मिट जायेगे, तब वाद किसका रहेगा। इसलिए आज की सबसे बड़ी अपेक्षा यह है कि अहिंसा को सर्वोच्च प्रतिष्ठा मिले। इस लक्ष्य को सामने रखकर हमें समर्पित भाव से कार्य करना है। २४ मानवता मुसकाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003128
Book TitleManavta Muskaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages268
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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