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जो लोग देश के भविष्य के लिए चिन्तित हैं, उनके लिए तो यह और भी आवश्यक है कि वे अपने वर्तमान की ओर देखें । आप भी अपने वर्तमान जीवन का निरीक्षण करें, अपना आत्मालोचन करें। इसके लिए वेद, पुराण, आगम और कुरान के गहरे अध्ययन की अपेक्षा नहीं है। अपेक्षा केवल यह है कि आप अपने आचार-पक्ष को उज्ज्वल बनाएं। इससे जीवन स्वयं बन जाएगा । यही जीवन-निर्माण की कला है।
जीवन-निर्माण की कला
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