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खुला है । जिसके पिपासा हो, वह खुशी से यहां आकर अपनी प्यास बुझा सकता है ।
अणुव्रती की जीवन शैली
अणुव्रती का खान-पान शुद्ध होगा । उसकी वृत्ति में सादगी होगी । दाणी में संयम की पुट होगी । वह हमेशा अपना आत्मदर्शन करेगा । उदाहरण के लिये वह किसी पर क्रोध करने से बचेगा । यदि किसी दिन क्रोध आ जाये तो शाम को वह अपना आत्मालोचन करेगा कि आज उसने क्रोध क्यों किया ? इस प्रकार के निरन्तर चिन्तन से उसमें क्षमा का भाव क्रमशः पुष्ट होगा और उसके जीवन में रूपांतरण घटित होने लगेगा ।
अणुव्रती किसी की आलोचना नहीं करेगा । इसीलिये हमने अणुव्रती की आचार संहिता में एक नियम रखा है - मैं सब धर्मों के प्रति तितिक्षा के भाव रखूंगा । अणुव्रती बौद्ध, वैदिक, जैन किसी पर कटाक्ष नहीं करेगा ।
अणुव्रत सबका है
वास्तव में अणुव्रत जीवन का मार्गदर्शन करता है । अभी यह शैशवकाल में है, इसलिए इसकी आचार संहिता को अन्तिम रूप नहीं दिया गया है । और भी कोई अच्छे सुझाव आयेंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे । अणुव्रत की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक व्यापक तत्व है । इतना व्यापक कि किसी भी वर्ग, देश या जाति का व्यक्ति इससे अपने जीवन का निर्माण कर सकता है। पुरुषों की तरह ही बहनें भी इसमें सम्मिलित हो सकती हैं । वास्तव में तो देश की अच्छी उन्नति उन्हीं के हाथ में है । जब तक बहनों में जागृति नहीं आयेगी, उनका सुधार नहीं होगा, तब तक देश का सुधार होना संभव नहीं है । अणुव्रत किसी सम्प्रदायविशेष का नहीं है । इसीलिए वह सभी का है । इसमें सब धर्मो के तत्वों का सार है । अतः आशा है, सभी संप्रदायों के लोग इसमें सहयोग देंगे । वह सहयोग हमारा नहीं है, बल्कि मानवता का सहयोग है । इसमें कोई छोटे-बड़े का सवाल नहीं है । हर कोई दे सकता है । वस्तुत: छोटा और बड़ा है ही क्या 1 पूंजी
जिसका जीवन त्यागमय है ।
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से कोई बड़ा थोड़े ही होता है । बड़ा वही है, छोटा वही है, जिसका जीवन गया- गुजरा है कहना चाहूंगा कि आप इस त्याग के महान् सहयोग दें, अपनी संभागिता जोड़ें। इससे आपका जीवन तो सार्थक होगा ही, समाज और राष्ट्र का भी बहुत बड़ा हित होगा ।
अणुव्रत सार्वजनीन है
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अतः मैं आप सब लोगों से उपक्रम को आगे बढाने में
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